जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa) – (Moral Story In Hindi)

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जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

(Best Moral Story In Hindi)

जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa) एक नैतिक कहानी है, जिसे लोगो द्वारा भूत पसंद किया जाता है। यह बहुत ही बढ़िया नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षाप्रद कहानी है। आइए आप भी एकबार इस कहानी को पढ़े और विचार करे।

जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa) (Moral Stories In Hindi)

भोला और शरद बहुत अच्छे दोस्त थे – जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

भोला और शरद बहुत अच्छे दोस्त थे | अभी अभी भोला अपनी काफी धन-दौलत और जायदाद आदि गवा चूका था और वह बहुत उदास था | यह सब होने से वह एक बड़े शहर में जाकर अपनी किस्मत अजमाना चाहता था |भोला के पास काफी सारे लोहे के पुराने बर्तन थे | उन्हें लेकर वह शरद के घर आया और उससे विनती की कि वह उसके लौटकर आने तक उन बर्तन को अपने पास हिफाजत से रख ले |

सारे बर्तन तो चूहे खा गये – जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

एक साल गुजर जाने के बाद जब भोला ने वापस आकर शरद से जब अपने बर्तन मांगे तो उसने कहा , मित्र वो सारे बर्तन तो चूहे खा गये | यह सुनकर भोला बहुत दुखी हुआ और उसे पता था की उसका दोस्त शरद उसे झूठ बोल रहा हे परन्तु उसने कुछ नही कहा और चुपचाप वहा से चला गया | कुछ दिन बाद उसने शरद से कहा कि वह अपने बेटे को उसके साथ भेज दे |

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उपहारजैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

उसने बताया कि वह बाहर से उसके लिए लाय गये उपहार उसे देना चाहता है | उपहार का नाम सुनते ही शरद ने फटाफट अपने बेटे को भोला के साथ भेज दिया | समय गुजरता गया और रात हो गई परन्तु शरद का बेटा वापस नही आया | शरद काफी चिंता में था तभी शरद और उसकी पत्नी भागे भागे भोला के घर पहुचे और पूछा की हमारा बेटा कहा है ?

जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

शरद के बेटे को चील उड़ाकर ले गई – जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

भोला ने बताया की बहुत गजब हो गया, उसने बताया की घर वापस आते समय एक चील उनके बेटे को उड़ाकर ले गई | शरद बहुत गुस्सा हुआ और उसको समझने में देर न लगी की भोला उससे बदला ले रहा है | वह न्याय मागने राजमहल जा पंहुचा |

शरद न्याय मागने राजमहल जा पंहुचा – जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa)

राजा ने उन दोनों को एक साथ मिलने के लिए दरबार में बुलाया | राजा ने भोला से पूछा, “ दस वर्ष के एक लड़के को चील उड़ाकर कैसे ले जा सकती हे ?” भोला ने झट से जबाब दिया, “हे राजाधिराज महाराज जब लोहे के बर्तन को चूहे खाने की तरह आराम से खा सकते है ठीक उसी प्रकार चील भी बड़ी  आसानी से लड़के को उड़ाकर आसमान में ले जा सकती है |”

शरद अब सब समझ चूका था और वह अपने आप पर बहुत शर्मिंदा हुआ उसे अपनी इस गलती का अहसास भी हुआ जिससे उसने  अपनी गलती मानते हुए उसने भोला को उसके सारे बर्तन वापस कर दिए और उससे माफ़ी भी मांगी |भोला ने भी उसे माफ़ करते उसके बेटे को मुक्त कर दिया और  अगले दिन शरद को  अपना बेटा भी  वापस मिल गया |

Moral of जैसे को तैसा (Jaise ko Taisa) Story ( इस कहानी से निम्न शिक्षा मिलती है )
  1. पहली सीख इस कहानी से की हम जैसा कर्म करते है हमे वैसा ही फल मिलता है
  2. किसी से छल द्वारा कोई चीज हड़प लेने से हमारी भी कोई कीमती वस्तु हमसे छिन जाती है
  3. किसी के भरोसा करने पर हमे कभी उसका विश्वास नही तोडना चाहिए।

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